ठंड मा खूब बिकड़ी कंडाली (बिच्छू घास), हथ-हथ हूंणी खतम
कोटद्वार बजार मा सौ रुपया और 120 रुपया किलो तक बिकड़ी कंडाली
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: ठंडक मौसम मा पहाड़क प्रिया भोजन कंडाली (बिच्छू घास) क डिमांड बढ़ण बैठ ज्या। पहाड़ भटेक कोटद्वार बाजार आणी कंडाली हथ-हथ बिक जाणी च। सब्जीक दुकान मा कंडाली सौ रुपया और 120 रुपया किलो तक बिकणी। यू ही ना कई लोग त पहाड़ी सब्जी बिकाड़ ओलो ते एक दिन पेल ही कंडालीक डिमांड दिणा छन।
कंडेली पहाड़ के मुख्य भोजन में से एक है। आयरन, विटामिन सी, विटामिन ए सहित कई अन्य औषधीय गुणों से भरपूर कंडाली की डिमांड ठंड के मौसम में अधिक बढ़ जाती है। यही कारण है कि अब ठंड बढ़ने के साथ ही कंडाली बिकने के लिए मैदान के बाजार में भी पहुंचने लगी हे। बदरीनाथ मार्ग पर पहाड़ी सब्जियों की दुकान लगाने वाले राजेंद्र ने बताया कि वह पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन अपने गांव से पांच किलो कंडाली लेकर कोटद्वार आ रहे हैं। दुकान में कंडाली लगते ही वह हाथो-हाथ बिक रही है। कई लोग एक दिन पहले ही कंडाली का अर्डर दे रहे हैं। कोटद्वार से दिल्ली व अन्य बड़े शहरों की ओर जाने वाले प्रवासियों की अधिक डिमांड आ रही है।
औषधीय गुणों से भरपूर च कंडाली
कंडाली खनिज व विटामिन का भंडार हैं। कंडाली में लौह तत्व की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर में खून की कमी पूरा करती है। कंडाली शरीर की एसीडिक प्रवृत्ति को समाप्त करता है। पीलिया, पेट की बीमारी, खांसी, जुकाम, बलगम, गठिया, एलर्जी के साथ ही कई अन्य बीमारियों का कंडाली रामबाण उपचार है। कोराना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कंडाली की सबसे अधिक डिमांड थी।
पहाड़ मा रोजगार दीणी कंडाली
ठंड के मौसम में कंडाली ग्रामीणों के लिए बेहतर रोजगार का भी साधन बन रही है। कई लोग स्पेशल कंडाली लेने के लिए गांव जा रहे हैं। यही नहीं द्वारीखाल ब्लाक के कई गांव में कंडाली की चायपत्ती भी बनाई जा रही है। वहीं, मैदान में पहाड़ी सब्जी बेचने वाले भी ग्रामीणों से कंडाली खरीद रहे हैं। गांव के आसपास छोटे बाजारों में भी पहाड़ी युवाओं ने कंडाली की दुकान लगाई हुई है।