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मोदी के मास्टर स्ट्रोक को नहीं भांप सका विपक्ष, बीजेपी को विक्रम-बेताल बन घेरेगी कांग्रेस

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नई दिल्ली, एजेंसी। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार को जैसे ही शुरू हुआ, तो सत्ता पक्ष के सदस्यों ने राहुल गांधी के लंदन में दिए गए बयान पर हंगामा कर दिया। भाजपा सांसदों ने दोनों सदनों में राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग उठाई। पहले तो सदन की कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित किया गया, लेकिन उसके बाद कार्यवाही, मंगलवार तक स्थगित कर दी गई। सत्र की शुरुआत से पहले माना जा रहा था कि अदाणी और महिला आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष, सत्ता पक्ष की जबरदस्त घेराबंदी करेगा, लेकिन पीएम मोदी के मास्टर स्ट्रोक को भांपने में विपक्ष कामयाब नहीं हुआ। विपक्ष से जिस हंगामे की उम्मीद थी, वह तो सत्ता पक्ष ने ही कर दिया। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को कहना पड़ा कि हम उन्हें (भाजपा) छोड़ेंगे नहीं। केंद्र सरकार, संविधान की धज्जियां उड़ा रही है। कांग्रेस पार्टी उनके पीछे विक्रम-बेताल के जैसे लगी है, उन्हें छोड़ेंगे नहीं।
संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने अदाणी मुद्दे पर पीएम मोदी और भाजपा को घेरने का प्रयास किया था। इसके चलते कई दिनों तक सदन की कार्यवाही बाधित रही। सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष ने भाजपा पर हमला बोलने के लिए खास तैयारी की थी। विपक्ष की सूची में अदाणी और केंद्रीय जांच एजेंसियों का मुद्दा, पहले नंबर पर था। दूसरे स्थान पर महिला आरक्षण बिल था। गत शुक्रवार को जंतर-मंतर पर तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी एवं भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के़क कविता ने संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण की मांग को लेकर धरना दिया था। इस धरने में दर्जनभर से अधिक विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। धरने को विपक्षी एकजुटता से भी जोड़ कर देखा गया। हालांकि विपक्षी नेताओं का फोकस, महिला आरक्षण की बजाए, केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर रहा। खुद के़क कविता भी ईडी की पूछताछ में शामिल हुई हैं। ये अलग बात है कि धरने के दौरान कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में कहा था कि कांग्रेस नेतृत्व के प्रयासों के कारण 9 मार्च 2010 को एतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ था, लेकिन लोकसभा में इसे समर्थन नहीं मिल सका। बिल अभी भी लैप्स नहीं हुआ है, लोकसभा में लंबित है। इसे फिर से पेश करने से किसने रोका है।
संसद सत्र में भाजपा, विपक्ष पर हमला बोल सकती है, इसका संकेत तो एक दिन पहले ही मिल गया था। दरअसल पीएम मोदी ने कर्नाटक के हुबली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा था। उन्होंने बिना नाम लिए कहा, भारत न केवल सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि लोकतंत्र की जननी है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लंदन में भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाए गए। बस यहीं से भाजपा की रणनीति बदल गई।
संसद सत्र के पहले ही दिन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में राहुल गांधी पर जमकर हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश की धरती से भारत का अपमान किया है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में भाजपा के नेता पीयूष गोयल ने भी राहुल गांधी पर हमला बोला। गोयल ने कहा, राहुल गांधी ने विदेशी जमीन पर भारतवासियों और सदन का अपमान किया है। कांग्रेस सांसद को भारत के ऊपर ऐसी टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें सदन में आकर माफी मांगनी चाहिए। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा, राहुल की बात का इस सदन से कोई संबंध नहीं था।
डेमोक्रसी के बारे में राहुल गांधी ने विदेशी कलेजों में आयोजित सेमिनार में जो कुछ कहा था, उसे राज्यसभा में उठाया जा रहा है। ये तो नियमों के खिलाफ है। सदन के नेता पीयूष गोयल ने उनके भाषण को अपने ढंग से पेश कर दिया है। वे लोग खुद डेमोक्रसी को यहां कुचल रहे हैं। मोदी सरकार में डेमोक्रसी और संविधान की कोई जगह नहीं है। यह सरकार, जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है। जैसे एक तानाशाह देश को चलाता है, वैसा ही वो काम यहां पर कर रहे हैं। बतौर खरगे, मोदी साहब के भी कई उदाहरण हैं, जहां उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं। उन्होंने शंघाई में क्या कहा था। अगर कोई किसी कलेज के सेमिनार में डेमोक्रसी और संविधान पर बात करे, तो उससे देश की मर्यादा चली जाती है। वे हमें देशद्रोही बताते हैं। साउथ कोरिया में मोदी की बात का मतलब था कि 70 साल में जो कुछ इस देश में हुआ या जो उद्योगपति बढ़े, जो इन्वेस्टमेंट हुआ, उसका उन्होंने ऐसा खंडन किया कि जैसे उस वक्त के बिजनेसमेन बेकार थे। उस वक्त के लोग बेकार थे। उस वक्त के लोगों की कोई इज्जत नहीं थी। सिर्फ मोदी के सरकार में आने के बाद ही उनकी इज्जत बढ़ी है।

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