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पर्यटन को पटरी पर लाने को विशेषज्ञ रिपोर्ट का इंतजार

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संवाददाता, देहरादून। प्रदेश में पर्यटन गतिविधिया ठप रहने से अनुमानित नुकसान तकरीबन 800 करोड़ रुपये तक है। इस नुकसान से उबरने और पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने की रणनीति इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) काशीपुर के प्रबंधन विशेषज्ञ सुझाएंगे। आइआइएम अपनी अध्ययन रिपोर्ट डेढ़ माह के भीतर सरकार को सौंपेगा। प्रवासियों की वापसी को रिवर्स पलायन के मौके के तौर पर देख रही सरकार ने उनकी आजीविका और रोजगार के लिए हर्बल खेती के लिए 4000 करोड़ का मेगा प्लान तैयार किया है।
कोरोना महामारी से बचने की जंग में लॉकडाउन के हथियार ने राज्य की आर्थिकी को बड़ा झटका दिया है। इस नुकसान के आकलन और उससे उबरने के उपाय सुझाने को पूर्व मुख्य सचिव आइके पाडे की अध्यक्षता में गठित समिति प्रारंभिक नुकसान के तौर पर करीब 7500 करोड़ के राजस्व नुकसान का आकलन कर चुकी है। समिति अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। इसमें अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान काफी ज्यादा होने का अंदेशा जताया जा चुका है। समिति नुकसान का व्यापक आकलन करने और विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने में जुटी है।
समिति ने पर्यटन सेक्टर को नुकसान और इससे आजीविका के संसाधनों पर व्यापक चोट पर सरकार से विशेष ध्यान देने की सिफारिश की है। यही वजह है कि सरकार को अब आइआइएम काशीपुर की अध्ययन रिपोर्ट का इंतजार है। दरअसल राज्य की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की अहम भूमिका है। कुल सकल घरेलू उत्पाद में इस सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 50 फीसद है। यही वजह है कि सरकार ने इस सेक्टर को ध्यान में रखकर खास रणनीति बनाने का जिम्मा आइआइएम काशीपुर को सौंपा है।
राज्य में पर्यटन गतिविधियों के साथ ही धार्मिक, साहसिक पर्यटन, योग, होम स्टे योजनाओं की मुश्किलें बढ़ी हैं। आइआइएम दो तरह से डाटा उपयोग में ला रहा है। एक डाटा सरकारी आकड़ों का है। इसके अतिरिक्त दूसरी संस्थाओं के साथ ही आइआइएम ने अपनी ओर से भी सर्वे किया है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार वेलनेस और हेल्थ-मेडिकल पर्यटन की अच्छी संभावनाएं आक रही है। कोविड-19 से उपजी परिस्थितियों में पर्यटकों का झुकाव इस ओर बढ़ने का अनुमान है। केंद्र से मिले आर्थिक पैकेज की मदद वेलनेस सेंटर के गठन और रोजगार पैदा करने में ली जाएगी।
कृषि-गैर कृषि क्षेत्र के 23 लाख से ज्यादा लोगों की मुसीबत बढ़ी
कोरोना संकट काल में कृषि क्षेत्र के 12़93 मुख्य कर्मकार और 6़91 लाख लघु व सीमात किसानों की मुश्किलें बढ़ी हैं। कृषि व उद्यान क्षेत्र में श्रमिकों की कमी की समस्या बढ़ने के साथ ही कृषि गतिविधियों को छोड़ने वालों की संख्या बढ़ने का अंदेशा आइके पांडे समिति ने जताया है। कमोबेश राज्य में कुल 3,49,177 गैर कृषि उद्यमों, जिनमें 158318 शहरी क्षेत्रों में हैं, उनके सामने भी दिक्कतें खड़ी हो गई हैं।
2़ 25 लाख हेक्टेयर भूमि पर हर्बल खेती
प्रदेश सरकार ने प्रवासियों की मदद से हर्बल खेती का मेगा प्लान बनाया है। नेशनल मेडिसिनल प्लाट्स बोर्ड के तहत औषधीय पौधों की खेती की योजना बनाई गई है। इसमें 2़25 लाख हेक्टेयर जमीन पर औषधीय पौधों की खेती की जानी है। योजना से किसानों को 5000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आमदनी होने का आकलन किया गया है। नेशनल मेडिसिनल प्लाट्स बोर्ड इसके लिए 800 हेक्टेयर क्षेत्र में कॉरिडोर विकसित करेगा।

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