गजब: बिना नंबर प्लेट दौड़ रहे नगर निगम के वाहन
नगर निगम के अधिकांश वाहनों पर नहीं लगी है नंबर प्लेट
फर्राटा भर रहे वाहनों से हर समय बना है दुर्घटनाओं का खतरा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : इसे नगर निगम का तानाशाही रवैया ही कहा जाएगा कि निगम के वाहन सड़कों पर बगैर पंजीकरण के दौड़ रहे हैं। नगर निगम ने कई वाहनों की नंबर प्लेट में पंजीकरण संख्या दर्ज करने के बजाए नगर निगम लिखा गया है। हालत यह है कि वर्षों पूर्व खरीदे गए वाहनों का आज तक पंजीकरण नहीं करवाया है। नतीजा, बिना नंबर प्लेट सड़कों पर फर्राटा भर रहे इन वाहनों से हर समय दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है।
वर्तमान में नगर निगम के पास 16 छोटा हाथी वाहन, चार ट्रैक्टर-ट्रॉली, दो डंपर, दो जेसीबी व दो टाटा वाहन मौजूद हैं। इन सभी वाहनों को खरीदे हुए तीन वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। लेकिन, आज भी पचास प्रतिशत वाहन बिना रजिस्ट्रेशन सड़क पर फर्राटा भर रहे हैं। निगम के टाटा वाहनों के साथ ही कई अन्य वाहनों का बीमा तक नहीं हुआ है। यही नहीं, ढाई वर्ष पूर्व नौ लाख रुपये की लागत से खरीदे गए स्काई लिफ्ट वाहन का भी नगर निगम ने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। नंबर प्लेट की जगह वाहनों का लाल स्याही से नगर निगम लिखा गया है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि आमजन को नियमों का पालन करवाने वाली यातायात पुलिस व परिवहन विभाग की टीम भी निगम की लापरवाही को देख आंखें मूंद रही है। जिम्मेदार सिस्टम ने आज तक निगम के वाहनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
यह है नियम
मोटर वाहन एक्ट के तहत किसी भी वाहन की खरीद के एक माह के भीतर उसका परिवहन विभाग में पंजीकरण करवाना आवश्यक है। यदी इसके बाद नियमों का उल्लंघन होता है तो वाहन को सीज करने का नियम है। लेकिन, नगर निगम खुलेआम मोटर वाहन एक्ट के इन नियमों का खुलेआम मखौल उड़ा रहा है। ऐसे में यदी कोई बड़ी दुर्घटना होगी तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। यह बड़ा सवाल है।
नियमानुसार वाहन खरीदने के एक माह के भीतर वाहन को परिवहन विभाग में पंजीकृत करवाना अनिवार्य है। सरकारी वाहनों से कोई टैक्स नहीं लिया जाता है। उनसे सिर्फ पंजीकरण शुल्क ही लिया जाता है। बिना पंजीकृत वाहन के सड़क में दौड़ाना अपराध है। ...प्रदीप रौथाण, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (तकनीकि), कोटद्वार