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हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में सफलतापूर्वक किया किडनी ट्रांसप्लांट

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महिला ने किडनी देकर बचाई पति की जान
ऋषिकेश। आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। इस दिवस को मनाने का असल मकसद है समाज व परिवार निर्माण में महिलाओं के अदृश्य संघर्ष को सम्मान देना। ऐसे ही सम्मान की हकदार हैं बिजनौर उत्तर प्रदेश की रिंकी देवी (30 वर्ष)। रिंकी देवी के पति राहुल (33 वर्ष) की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी। ऐसे में अपने पति के जीवन पर आए संकट को दूर करने के लिए रिंकी देवी ने उन्हें एक किडनी दान की। हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। अब दोनों पति-पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी रिंकी देवी के पति राहुल (38) की कुछ माह से अचानक तबियत खराब हो गई। रिंकी देवी अपने पति को उपचार के लिए हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट लेकर आई। यहां पर जरूरी स्वास्थ्य परीक्षण करवाए। इसमें पता चला कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। पति के जीवन पर संकट को देखते हुए पत्नी रिंकी देवी ने उन्हें अपनी किडनी देने का फैसला किया। इसके बाद हॉस्पिटल में यूरोलॉजी-नेफ्रोलॉजी की एक संयुक्त टीम बनाई गई। वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. किम जे. ममिन ने बताया कि राहुल के ब्लड ग्रुप से उनकी पत्नी रिंकी देवी के ब्लड ग्रुप का मिलान हुआ। ऑपरेशन के बाद रिंकी देवी की किडनी उनके पति राहुल को ट्रांसप्लांट कर दी गई। एनिस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी के दौरान दोनों को बेहोशी देना भी चुनौती भरा होता है। करीब पांच घंटे की सर्जरी के बाद पति-पत्नी दोनों स्वस्थ हैं। राहुल ने बताया कि ‘मुझे पत्नी के त्याग के कारण ही नया जीवन मिला है। मुझे पत्नी पर गर्व है। ईश्वर उसे लंबी उम्र दे, यही मेरी कामना है।’
यह रही टीम:- सर्जरी को सफल बनाने में वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ.किम जे. ममिन, वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.शहबाज अहमद, एनिस्थिसिया विभागाध्यक्ष डॉ. वीना अस्थाना सहित डॉ.राजीव सरपाल, डॉ.शिखर अग्रवाल, डॉ.विकास चंदेल का योगदान रहा। कुलपति डॉ.विजय धस्माना व चिकत्सा अधीक्षक डॉ.एसएल जेठानी ने किडनी के सफल ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी।
किडनी दान करने में भी मातृ शक्ति अव्वल: हिमालयन हॉस्पिटल जॉलीग्रांट में वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ.शहबाज अहमद ने कहा कि अपनों के जीवन पर आए संकट को बचाने में मातृ शक्ति ही अग्रणी है। हिमालयन हॉस्पिटल में अब तक हुए कुल किडनी ट्रांसप्लांट में करीब 70 फीसदी ट्रांसप्लांट में मां, पत्नी, बहन के रुप में मातृ शक्ति ने ही अपनी किडनी दान की है।
सेहत का रखें विशेष ध्यान: डॉ.शहबाज अहमद के मुताबिक किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जीवन परिवर्तित जीवन शैली, नियमित दवाइयों, खाने-पीने में परहेज, साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखना, संक्रमण से बचाव आदि पर ही निर्भर करता है। इसमें इंफेक्शन व रिएक्शन का खतरा हमेशा बना रहता है। इसलिए बहुत सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।
डायलिसिस से बेहतर है किडनी ट्रांसप्लांट: वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ.किम.जे.ममिन का कहना है कि किसी भी किडनी मरीज व उसके स्वजनों के लिए डायलिसिस से बेहतर है किडनी ट्रांसप्लांट। ट्रांस्पलांट के बाद मरीज की शारिरीक परेशानियां भी कम हो जाती हैं। नॉर्मल वे में खून बनता रहता है। जिससे बार खून नहीं चढ़ाना पड़ता। दूसरा, डायलिसिस पर करीब पांच साल में जितना खर्च होता है, उसकी आधी कीमत पर किडना ट्रांसप्लांट हो जाता है।

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