उत्तराखंड

वैज्ञानिकों ने जानी वनस्पतियों पर लगने वाले रोगों के कारण

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रुद्रप्रयाग। भारतीय वन अनुसंधान देहरादून के वनस्पति वैज्ञानिकों के दल ने मध्य हिमालय स्थित क्षेत्रों के वनों में उगने वाली दुर्लभ वनस्पतियों की स्थिति व इन पेड़ों पर लगने वाले रोगों के कारणों की जानकारी जुटाई। इसके बाद वैज्ञानिकों का दल रानीगढ़ क्षेत्र के कोट गांव स्थित जगत सिंह चौधरी के मिश्रित वन में पहुंचा। कोट गांव में वनस्पति वैज्ञानिकों के दल ने मिश्रित वन की प्रशंसा की। उन्होंने वन में उग रही विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों को निरीक्षण किया। इस दौरान पर्यावरण विज्ञानी पर्यावरण विज्ञानी देव राघवेंद्र बद्री ने दल को मिश्रित वन में किए जा रहे मृदा संरक्षण, जल संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण व सूक्ष्म जलवायु निर्माण समेत अन्य प्रयोगों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर वन वनस्पति विज्ञान विभाग की वैज्ञानिक डा़ रंजना नेगी ने कहा कि यह मिश्रित वन वानिकी मडल पर्यावरण व जैवविधता संरक्षण के लिए एक बेहतर समाधान है। वन विकास की दिशा में अनय क्षेत्रों में भी ऐसे मिश्रित वनों को बढ़ावा देने की जरूरत है। वन व्याधि प्रभाग की वैज्ञानिक डा़ रंजना जवांटा ने कहा कि हिमालयी वनस्पतियों पर अचानक रोग लगने से कुछ वनस्पतियों में विघठन देखने को मिल रहा है। जो चिंता विषय है। उन्होंने मिश्रित वन को पर्यावरणीय समाधान बताते हुए कहा कि मिश्रित प्रकार से प्रजातियों को उगाने से वनस्पतियों पर रोगों का खतरा कम होता है। वन वनस्पति विभाग के तकनीकि विशेषज्ञ आशीष सिंह ने जिस तरह मिश्रित वन में सूक्ष्म वनस्पति संरक्षण को बेहतर प्रयोग है। कहा कि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाली रिंगाल प्रजाति के विकास व जलवायु परिवर्तन का हिमायली वनस्पतियों में हो रही परिवर्तन पर विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर भरत सिंह, विजय प्रसाद जसोला, बल्लभ प्रसाद समेत अन्य ग्रामीण मौजूद थे।

 

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