उत्तराखंड

कुमाउनी बोली, भाषा व संस्ति विषय पर हुई गोष्ठी आयोजित

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बागेश्वर। उत्तराखंड पत्रकार एवं साहित्यकार समिति के तत्वाधान में कुमाउनी बोली, भाषा व संस्ति विषय पर गरुड़ में गोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर मुख्य अतिथि ड़ चंद्र प्रकाश फुलोरिया ने कहा कि हमें अपने घर से ही कुमाउनी बोलने की शुरुआत करनी होगी, तभी कुमाउनी भाषा समृद्घ होगी। आदर्श ज्ञानार्जन विद्यालय में आयोजित गोष्ठी में अल्मोड़ा से आए वरिष्ठ साहित्यकार ड फुलोरिया ने कहा कि हमें घरों में अपने बच्चों से कुमाउनी में बात करनी चाहिए। गोष्ठी में वक्ताओं ने कुमाउनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग उठाई। वक्ताओं ने कहा कि आज कुमाउनी बोली भाषा का रूप ले चुकी है। इस मौके पर वक्ताओं ने प्रत्येक विद्यालय में कुमाउनी भाषा शिक्षक की नियुक्ति करने पर जोर दिया। वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चंद्र पांडे बृजवासी ने कहा कि कुमाउनी भाषा में आज प्रचुर साहित्य उपलब्ध है। साहित्य की प्रत्येक विधा में आज कुमाउनी पुस्तकें लिखी गई हैं। कई लोग निरंतर कुमाउनी में लिखकर इसके साहित्य को समृद्घ कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि कई पत्र-पत्रिकाएं आज कुमाउनी में छप रही हैं। उन्होंने कहा कि इतना सब कुछ होते हुए भी अभी तक कुमाउनी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। साहित्यकार रतन सिंह किरमोलिया ने कहा कि कुमाउनी को रोजगार से जोड़ा जाना चाहिए, इसके लिए प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालयों में एक कुमाउनी भाषा शिक्षक की नियुक्ति की जानी चाहिए। इससे अपनी बोली, भाषा के प्रति लोगों में रुझान भी बढ़ेगा। गोष्ठी की अध्यक्षता मोहन जोशी ने की तथा संचालन चंद्रशेखर बड़सीला ने किया। इस दौरान ड हेम चंद्र दुबे, विशन दत्त पांडे, त्रिलोक बुटौला, सुंदर सिंह बरोलिया, रतन सिंह किरमोलिया, रमेश पांडे आदि मौजूद थे।

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